महात्मा गांधी के जिंदगी जीने के तरीके और उनकी जीवन शैली से हम सभी लगभग परिचित हैं । लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि उन्होंने स्वस्थ जीवन और स्वच्छ जीवन जीने के लिए प्रकृति को ही अपना चिकित्सक बनाया । यही वजह है कि इतना व्यस्त जीवन जीने के बावजूद उन्हें कभी भी किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हुई । वो दिन में पांच से अधिक चीजें नहीं खाते थे । इन पांच में नमक भी शामिल था । कड़ाके की ठंड में वो हमेशा सुबह चार बजे उठते थे और आवश्यकता होने पर शत को दो बजे उठ जाते और काम शुरू कर देते । बापू का विश्वास था कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन बसता है । पढ़िए बापू के पांच प्रकृति से जुड़े चिकित्सक -
पानी : बापू का पहला चिकित्सक है पानी । पानी में थकान को हराने की अद्भुत क्षमता है । उनका ऐसा मानना था कि ठंडे और गरम पानी से नहाना शरीर को बहुत लाभदायक होता है । ज्यादातर रोग पेट की गंदगी में इकट्ठा होते है । उसकी सफाई के लिए पानी से बढ़कर और कोई चीज नहीं । दिन में काफी मात्रा में पानी पीते रहने और गरम पानी में थोड़ा नींबू वा शहद मिलाकर पीने से पेट पूरी तरह साफ रहता है । स्वच्छ मिट्टी बापू के दूसरे चिकित्सक का नाम है।
स्वच्छ मिट्टी :
मिट्टी में अंदर के पुराने विकार को उखाड़ने की क्षमता होती है । वह पेट पर रोज एक घंटे तक गीली मिट्टी रखते थे , इससे कब्ज दूर होता है । इतना ही नहीं आंखों में जब भी दर्द होता तो गिली मिट्टी लगाते थे । उपवास तीसरा चिकित्सक है।
उपवास :
उनका ऐसा मानना है कि व्यर्थ की चीजें खाते रहने से बहुत सी बीमारियों को हम आमद देते हैं ।उपवास से शरीर की पाचन प्रणाली को आराम मिलता है । अंदरूनी सफाई की सहायता मिलती है । अच्छा तो यह हो कि हम अपने खान - पान में ही सावधान रहें । खायें तभी जब भूखे हों और खाने के लिए मेहनत जरूरी है ।
व्यायाम :
बापू का चौथा चिकित्सक व्यायाम है । उनका ऐसा मानना था कि व्यायाम आप ऐसा करो जिससे आपके अन्य दूसरे काम भी हो सकें । वो जब भी आश्रम में होते तो चक्री पीसते , चरखा चलाते और कपड़ा बुनते । इससे एक ओर जहां उनके काम पूरे हो रहे थे । वहीं , शरीर पूरी तरह से व्यायाम करता ।
रामनाम :
' यह बापू के जीवन का मुख्य चिकित्सक रहा है । उनका ऐसा मानना था कि वो जब भी किसी भी प्रकार की बीमारियों से परेशान होते या फिर किसी बात को लेकर परेशानी समझते तो रामबाण इलाज उनके लिए रामनाम ही था । वो मानते थे कि आदमी केवल शरीर नहीं , उसके तन के साथ उसका मन भी है । क्योंकि तन का मन से गहरा संबंध है । यदि इनसे छुटकारा पाना चाहते हो तो हमें अपने मन को ठीक करना होगा ।
बापू के अनुसार हर व्यक्ति को इन ५ सलाह को अपनाना चाइये। व प्रकति से जुड़े रहना चाइये।
धन्यवाद ❤
जय हिन्द जय भारत।
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